Sunday, February 8, 2009

शाम से याद सताती है तो पी लेता हूँ

शाम से याद सताती है तो पी लेता हूँ
जिंदगी आस बंधाती है तो जी लेता हूँ
आरज़ू प्यार की मरने नहीं देती मुझको
दिल के ज़ख्मों को 'मज़हर' ख़ुद ही सी लेता हूँ

मज़हर अली 'क़ासमी'

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