हाले दिल क्या पूँछते हो मुझको ठुकराने के बाद
क्या महक सकता है कोई फूल मुरझाने के बाद
वो निशां ज़ख्मों से भी ज़्यादा कसक देने लगे
जो निशां बाक़ी हैं दिल में ज़ख्म भर जाने के बाद
जाने क्यों रोता रहा वो क्या नज़र आया उसे
आइना देखा जब उस ने मुझ को दिखलाने के बाद
जो नहीं पाया है 'सालिक' उस का कोई ग़म नहीं
ग़म तो बस उस का है खोया है जिसे पाने के बाद
वसी मोहम्मद खान 'सालिक'
क्या महक सकता है कोई फूल मुरझाने के बाद
वो निशां ज़ख्मों से भी ज़्यादा कसक देने लगे
जो निशां बाक़ी हैं दिल में ज़ख्म भर जाने के बाद
जाने क्यों रोता रहा वो क्या नज़र आया उसे
आइना देखा जब उस ने मुझ को दिखलाने के बाद
जो नहीं पाया है 'सालिक' उस का कोई ग़म नहीं
ग़म तो बस उस का है खोया है जिसे पाने के बाद
वसी मोहम्मद खान 'सालिक'