हाले दिल क्या पूँछते हो मुझको ठुकराने के बाद
क्या महक सकता है कोई फूल मुरझाने के बाद
फिर हवा है तेज़ या रब आश्यं की ख़ैर हो
फिर न ऐसा बन सके शायद बिखर जाने के बाद
मेरे अरमानों की कश्ती भी उन्हीं में थी शरीक
कश्तियाँ डूबीं थीं जो साहिल से टकराने के बाद
वसी मोहम्मद खान 'सालिक '
क्या महक सकता है कोई फूल मुरझाने के बाद
फिर हवा है तेज़ या रब आश्यं की ख़ैर हो
फिर न ऐसा बन सके शायद बिखर जाने के बाद
मेरे अरमानों की कश्ती भी उन्हीं में थी शरीक
कश्तियाँ डूबीं थीं जो साहिल से टकराने के बाद
वसी मोहम्मद खान 'सालिक '
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