Thursday, April 9, 2015

खबरों की कतरनों से ही अख़बार हो गया

खबरों की कतरनों से ही अख़बार हो गया
पढ़कर ग़ज़ल किसी की वो फ़नकार हो गया

उस्मान अश्क़ 

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