Tuesday, March 9, 2010

ग़ज़ल

ज़िन्दगी प्यार है कोई सज़ा तो नहीं
मेरी चाहत किसी से जुदा तो नहीं

मेरे बस में जो था मैंने वो कर दिया
एक इन्सान हूँ कोई ख़ुदा तो नहीं

इससे पहले के ऊँगली उठे ग़ैर पर
देख लेना कहीं आइना तो नहीं

मुस्कुराते हुए एक दिए ने कहा
ए हवा देख ले मैं बुझा तो नहीं

मैंने कल रात सोचा बहुत देर तक
चाहती हूँ जिसे बेवफा तो नहीं

पहले सुनिए, समझिये हकीक़त है क्या
देखिये कहीं ये हवा तो नहीं

'प्रीति' के हौंसले पस्त कर दे कोई
ऐसा मैंने अभी तक सुना तो नहीं

मंजुश्री 'प्रीति'
mobile : 9415478757

3 comments:

  1. मुस्कुराते हुए एक दिए ने कहा
    ए हवा देख ले मैं बुझा तो नहीं

    बहुत खूब

    ReplyDelete
  2. इससे पहले के ऊँगली उठे ग़ैर पर
    देख लेना कहीं आइना तो नहीं


    waah bahut khoobsudart dhang se kaha gaya sher

    ReplyDelete