Saturday, January 1, 2011

बिछड़ के आपसे हम को बड़ा अहसास होता है

बिछड़ के आपसे हम को बड़ा अहसास होता है
जिया इस ज़िदगी को सोच के ये दिल भी रोता है

तुम्हारे बिन धड़कने को माना करता है मेरा दिल
मेरा दिल शाम सुबह, ये दुआ करता है आ के मिल
जो मिल जाओ तो कुछ, जिंदगी की आस बंध जाये
नहीं तो रेत मुट्ठी से, न जाने कब फिसल जाये
ये दीवाने की किस्मत है, जो हंस कर चैन खोता है


जिया इस ज़िदगी को सोच के ये दिल भी रोता है

तुम्हारे बिन नहीं है चैन, ना दिल को है क़रार आता
ये दिल जो पास में होता, जो दर पे ना बीमार आता
मेरे आंसूं मेरी फरयाद, कोई काम ना आई
वो संग दिल है ना माना, मैंने दी लाख दुहाई
खुदा से मांगता मिलता, ना मांगों कुछ ना मिलता है

जिया इस ज़िदगी को सोच के ये दिल भी रोता है

अजब है प्यास इस दिल की नज़र आये तो बुझती है
नहीं मिलता है जब महबूब, शोलों सी भड़कती है
ये दिल भी है बड़ा नादाँ, इसे समझाउं मैं कैसे
वफ़ादारी नहीं फितरत, उसे बतलाऊँ मैं कैसे
मेरा दिल भोला भाला, सीदा साधा मुझे महसूस होता है

जिया इस ज़िदगी को सोच के ये दिल भी रोता है

बिछड़ के आपसे हम को बड़ा अहसास होता है
जिया इस ज़िदगी को सोच के ये दिल भी रोता है


मज़हर अली
Mob.9452590559

1 comment: