Tuesday, January 27, 2015

हाले दिल क्या पूँछते हो मुझको ठुकराने के बाद

हाले दिल क्या पूँछते हो मुझको ठुकराने के बाद
क्या महक सकता है कोई फूल मुरझाने के बाद

वो निशां ज़ख्मों से भी ज़्यादा कसक देने लगे 
जो निशां बाक़ी हैं दिल में ज़ख्म भर जाने के बाद 

जाने क्यों रोता रहा वो क्या नज़र आया उसे 
आइना देखा जब उस ने मुझ को दिखलाने के बाद 

जो नहीं पाया है 'सालिक' उस का कोई ग़म नहीं 
ग़म तो बस उस का है खोया है जिसे पाने के बाद 

वसी मोहम्मद खान 'सालिक'

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