बिन तुम्हारे बसर किया हमने
यूँ भी तन्हा सफर किया हमने
तुमने जीती है सल्तनत लेकिन
दिल मैं लोगों के घर किया हमने
आज के दौर मैं वफ़ा करके
अपने दामन को तर किया हमने
वजह उस पे यकीं की मत पूंछो
न था करना मगर किया हमने
वो उठाते हैं उँगलियाँ हम पर
जिनमें पैदा हुनर किया हमने
उनकी यादों के जाम पी पी के
दर्द को बेअसर किया हमने
जानता हूँ की बेवफा है वो
साथ फिर भी गुज़र किया हमने
जब भी दुनिया पे ऐतबार किया
ख़ुद को ही डर दर बदर किया हमने
दोस्ती में मिटा के ख़ुद को 'सोज़'
दोस्ती को अमर किया हमने
राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
Tuesday, November 3, 2009
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