Friday, June 5, 2009

कौमी तराना

क़ायम रखेंगे हम सदा भारत की शान को
झुकने न देंगे परचमे हिन्दोस्तान को

भारत पे भूल कर भी जो डालेगा बदनज़र
महफूज़ रख ना पायेगा वह अपनी जान को

सुलतान, टीपू और महारानी लक्ष्मी
सद आफरी है भारती हर इक जवान को

बरसा के गोले देखिये अब्दुल हमीद ने
टिकने दिया ना दुश्मने हिन्दोस्तान को

भारत पे मिटने वाले शहीदों तुम्हें सलाम
तुमने वतन की शान रखी दे के जान को

गुरवानी पढता है तो कोई बाइबिल यहाँ
गीता कोई पढता है तो कोई कुरान को

आओ हम आज मिल के करें यह एहद "उरूज"
रक्खेगें हिंद में सदा अमनो अमान को

उरूज झांसवी

परचमे - झंडा
महफूज़ - सुरक्षित
सद आफरी - सैंकडों बार प्रशंसा के योग्य
सद - सौ
आफरी - शाबाशी देना
एहद - प्रण
अम्नो अमान - शांति

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