ग़म हैं कितने आदमी के वास्ते
हैंबहुत ही कम वह इंसा आजकल
जान दे दें जो किसी के वास्ते
दिल किसी का भी न तोड़ो दोस्तों
अपनी एक अदना ख़ुशी के वास्ते
तंज़ करते हैं वही अब देखिए
हम मिटे जिनकी ख़ुशी के वास्ते
मौत का चखना है सब को ज़ायका
मौत बरहक़ है सभी के वास्ते
कर गुज़रते हैं न क्या क्या हम"उरूज"
चार दिन की जिंदगी के वास्ते
उरूज "झांसवी"
अदना - छोटी
जायेका - स्वाद
बरहक़ - अति आवश्यक
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