Sunday, March 20, 2011

हर पल था लाला ज़ार अभी कल की बात है

हर पल था लाला ज़ार अभी कल की बात है
हर गुल पे था निखार अभी कल की बात है

मेरे चमन में किस लिये पाबंदियां हैं आज
था मुझको इख़्तियार अभी कल की बात है

जो देखते हैं चश्म-ए-हिक़ारत से अब मुझे
करते थे मुझ से प्यार अभी कल की बात है

जो देख कर निगाह बचा कर चले गये
करते थे इंतजार अभी कल की बात है

'रम्मन' को अब भी अपनी मोहब्बत पे नाज़ है
तुम बावफा थे यार ! अभी कल की बात है

रमन लाल अग्रवाल 'रम्मन'

लाला ज़ार - सुर्ख़ फूल का बाग़
चश्म-ए-हिक़ारत - नफरत की निगाह

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