Sunday, March 20, 2011

आशिक समझ के मुझको सताया न कीजिये

आशिक समझ के मुझको सताया न कीजिये
दिल मेरा इस तरह से दुखाया न कीजिये

अरमाँ मचल रहे हैं दिल-ए-बेक़रार में
दिल पर कभी सितम मेरे ढाया न कीजिये

आईना दिल का टूट के मेरे बिखर न जाये
यूँ बेवफाई मुझको दिखाया न कीजिये

है जिंदगी फ़क़त आप के लिए
ये राज़ दुश्मनों को बताया न कीजिये

'रम्मन' जुबां से उफ़ न करेगा कभी मगर
बस अजनबी समझ के बुलाया न कीजिये

रमन लाल अग्रवाल 'रम्मन'
mobile . 9335911832


फ़क़त - सिर्फ

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