जाते जाते मुझे कुछ दुआ दीजिये
आखरी वक़्त है मुस्कुरा दीजिये
वो न आये सितारे भी रुख्सत हुए
झिलमिलाती शमा को बुझा दीजिये
मुस्कुराएगा आखों में काजल अभी
अपनी पलकों को जुम्बिश ज़रा दीजिये
मिट चुका हूँ मैं जब आपके इश्क़ में
बेवफाई की फिर क्यों सज़ा दीजिये
बुझ न पायेगी 'सागर से अब तशनगी
अपनी नज़रों से मुझको पिला दीजिये
सागर कादरी "झांसवी"
Mob.9889405047
वक़्त - समय
रुख्सत - विदा
शमा - दीपक
जुम्बिश - हरकत
इश्क़ - प्रेम
तशनगी - प्यास
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