बिन तुम्हारे बसर किया हमने
यूँ भी तन्हा सफ़र किया हमने
तुमने जीती है सल्तनत लेकिन
दिल में लोगों के घर किया हमने
आज के दौर में वफ़ा करके
अपने दामन को तर किया हमने
वो उठाते हैं उँगलियाँ हम पर
जिनमें पैदा हुनर किया हमने
उनकी यादों के जाम पी पी के
दर्द को बेअसर किया हमने
जानता हूँ कि बेवफा है वो
साथ फिर भी गुज़र किया हमने
जब भी दुनिया पे ऐतबार किया
ख़ुद को ही दर-बदर किया हमने
दोस्ती में मिटा के ख़ुद को 'सोज़'
दोस्ती को अमर किया हमने
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
मोबाइल : 9412287787
Tuesday, March 9, 2010
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