कौन है वो तो करके वादा भुला देता है
क्या जाने किस बात पे मुझको रुला देता है
आख़िर कब तक दर्द जुदाई सहना है
किस गुनाह की वो मुझको सज़ा देता है
किस से करें ज़िक्र अपनी बर्बादी का
राहे वफ़ा में हर बार दगा देता है
चाहा तो कुछ नहीं सुकून दिल के सिवा
फिर भी ख्वाबों की महफिल सज़ा देता है
क्या मिलेगा उसको जाकर के दूर मुझसे
होके दूर फिर भी अरमां जगा देता है
तस्वीर हर दौर की देखी है यही मैंने
दर्द भी दिल में जो होता है मज़ा देता है
महका करें वो हमेशा वो रात रानी की तरह
उनकी खुशबू से 'कँवल' ख़ुद को खिला देता है
सुधीर कुमार 'कँवल'
Saturday, January 24, 2009
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