वो जाने तमन्ना से कर लेगा जो याराना
हर रंजो अलम ग़म से हो जायेगा बेगाना
कुंदन सा बदन तेरा चंदन की तरह महके
जुल्फें हैं घटाएं तो आँखें तेरी मैखाना
मुखडा है कुंवल जैसा और फूल सी हैं बाहें
अब कौन न चाहेगा इन बाहों में मर जाना
हर फूल में कलियों में गुलशन की फज़ाओं में
सब में है महक तेरी अए नर्गिसे मस्ताना
माना के वोह ज़ालिम है, क़ातिल है, सितमगर है
हैरत है, जिसे देखो उसका ही है दीवाना
इस आलमे गमगीं में तुझसे ही तो रौनक़ है
जो तू न कहीं होता बन जाता यह गमखाना
वोह लुत्फो करम हो या बेदादो सितम तेरे
हर हाल में हूँ मैं तो बस तेरा ही दीवाना
है शर्त 'क़मर' उसकी दिल उसको ही वोह देगा
दे दे जो उसे जानो ईमान का नज़राना
मोहम्मद सिद्दीक खान 'क़मर'
Saturday, January 31, 2009
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