Friday, January 1, 2010

पहले दुनिया में मुहब्बत आई

पहले दुनिया में मुहब्बत आई
बाद उसके ही इबादत आई

दोस्तों के ही करम से मुझमें
ग़म से टकराने की हिम्मत आई

जान दे दी है वतन पर जिसने
उसकी तक़दीर में जन्नत आई

जो भी करता है भला दुनिया का
दिल में उसकी ही मसर्रत आई

प्यार करते थे सभी सबको ही
फिर भला कैसे ये नफरत आई

दोस्ती खुद है ख़ुदा को प्यारी
दुश्मनी से ही मुसीबत आई

आदमी चलता है अपने मन से
बाद में ही यह नसीहत आई

दुश्मनी ख़त्म हुई है उनसे
बेकसी मिट गई राहत आई

कुछ नहीं दिल के सिवा 'सोज़' के पास
दिल से दुनिया में अक़ीदत आई

प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. 9412287787

इबादत - पूजा
करम - कृपा
मसर्रत -ख़ुशी
नसीहत -शिक्षा
बेकसी -दुःख
राहत - चैन
अक़ीदत -भरोसा

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