Monday, January 4, 2010

वक़्त हँस के गुज़ारा करो

वक़्त हँस के गुज़ारा करो
तुम हंसों और हंसाया करो

इसको समझो तुम अपना ही घर
अपने घर रोज़ आया करो

झुकती नज़रों ने सब कह दिया
यूँ ही नज़रें झुकाया करो

हैं ये आंसूं बहुत क़ीमती
बेसबब मत बहाया करो

इस बहाने में कुछ दम नहीं
यूँ न बातें बनाया करो

दिन में मिलने से मजबूर हो
ख़्वाब में मिलने आया करो

तुम गले तो लगते रहे
दिल से दिल भी लगाया करो

'सोज़' हैं ग़म ही ग़म हर तरफ
फिर भी तुम मुस्कुराया करो

प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. 9412287787

बेसबब - बिना कारण

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