Friday, January 8, 2010

वाह री मैया न्याय तेरा

भैया तो खेले बस खेले, घर कि सफाई मेरे नाम
वाह री मैया न्याय तेरा मैं देखा करती सुबह शाम

कभी-कभी तो आँख बचाकर दूध मलाई देती हो
दाल-भात बस मेरे आगे धीरे से सरका देती हो
देख देख अभ्यस्त हो गई हूँ मैया ये तेरे काम
वाह री मैया न्याय तेरा मैं देखा करती सुबह शाम

भैया के क्या गाल हैं मीठे हर पल चुम्मी देती हो
मैं जो गाल करूँ आगे तो बस थप्पड़ जड़ देती हो
मुझसे प्रेम जताया तो क्या रूठ जायेंगे सीताराम
वाह री मैया न्याय तेरा मैं देखा करती सुबह शाम

सोता भी है भैया तो तुम आँचल में सिमटा लेती
मैंने देख लिया तो मैया झट नज़रें पलटा लेती
ऐसा कर के मिल जाता है मैया क्या तुमको आराम
वाह री मैया न्याय तेरा मैं देखा करती सुबह शाम

प्रभा पांडे ' पुरनम '
ph. 0761-2412504

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