Wednesday, April 8, 2015

झूठ को सच बताइये साहब

झूठ को सच बताइये साहब
अपना सिक्का जमाइये साहब

हैं तो हम्माम में सभी नंगे
फिर भी इज़्ज़त बचाइये साहब

आज मक्कारी कोई ऐब नहीं
इसकी ख़ूबी गिनाइये साहब

ऐब औरों के देखते क्या हैं
 अपना चेहरा छुपाइये साहब

और कितने घुटाले करियेगा
कुछ शराफत दिखाइये साहब

देश कंगाल हो न जाये 'जमील'
और रिश्वत न खाइये साहब


जमीलुर्रहमान 'जमील' झांसवी

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