पहले दुनिया में मुहब्बत आई
बाद उसके ही इबादत आई
दोस्तों के ही करम से मुझमें
ग़म से टकराने की हिम्मत आई
जान दे दी है वतन पर जिसने
उसकी तक़दीर में जन्नत आई
जो भी करता है भला दुनिया का
दिल में उसकी ही मसर्रत आई
प्यार करते थे सभी सबको ही
फिर भला कैसे ये नफरत आई
दोस्ती खुद है ख़ुदा को प्यारी
दुश्मनी से ही मुसीबत आई
आदमी चलता है अपने मन से
बाद में ही यह नसीहत आई
दुश्मनी ख़त्म हुई है उनसे
बेकसी मिट गई राहत आई
कुछ नहीं दिल के सिवा 'सोज़' के पास
दिल से दुनिया में अक़ीदत आई
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. 9412287787
इबादत - पूजा
करम - कृपा
मसर्रत -ख़ुशी
नसीहत -शिक्षा
बेकसी -दुःख
राहत - चैन
अक़ीदत -भरोसा
Friday, January 1, 2010
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