चलो तुम्हारे लिये प्यार का सफ़र कर लें
गुनाह कोई करें राह मुख़्तसर कर लें
ज़माना हमको कहीं ठहरने नहीं देता
क़याम आज इधर है तो कल उधर कर लें
हमें जलायेगी सूरज की धूप भी इक दिन
तो बादलों को भी हम अपना हमसफ़र कर लें
तुम्हारा साथ अगर उम्र भर को मिल जाये
तमाम खोयी हुयी मंजिलों को सर कर लें
न जाने कौन सा लम्हा हमें डरा जाये
बहुत है शोर चलो खुद को बेख़बर कर लें
न जाने शाहजहाँ कोई फिर से मिल जाये
यह हाँथ काट के हम ख़ुद को बेहुनर कर लें
अँधेरी रात है तन्हाईयाँ हैं ए 'शाहीन'
हसीन ख़्वाब बुनें और फिर सहर कर लें
अर्चना तिवारी 'शाहीन'
mobile. 9415996375
Saturday, January 23, 2010
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