वक़्त हँस के गुज़ारा करो
तुम हंसों और हंसाया करो
इसको समझो तुम अपना ही घर
अपने घर रोज़ आया करो
झुकती नज़रों ने सब कह दिया
यूँ ही नज़रें झुकाया करो
हैं ये आंसूं बहुत क़ीमती
बेसबब मत बहाया करो
इस बहाने में कुछ दम नहीं
यूँ न बातें बनाया करो
दिन में मिलने से मजबूर हो
ख़्वाब में मिलने आया करो
तुम गले तो लगते रहे
दिल से दिल भी लगाया करो
'सोज़' हैं ग़म ही ग़म हर तरफ
फिर भी तुम मुस्कुराया करो
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. 9412287787
बेसबब - बिना कारण
Monday, January 4, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment