तुम नहीं आये तुम्हारी याद मुझको आ गयी
दिल ख़यालों में ही उलझा कुछ बात मन को भा गयी
क्या करूँ शिकवा शिकायत रोग दिल का है यह बस
कुछ तमन्नायें यूँ भड़कीं और दिल पे छा गयी
मैं तुम्हारी तुम हो मेरे इतना बस अपना जहाँ
साडी दुनिया कि यह खुशियाँ मैं लुटाने आ गयी
हर क़दम अपना बढ़ेगा तो बढ़ेगा साथ ही
साथ जीवन भर तुम्हारा मैं निभाने आ गयी
तुम हो मेरी जिंदगी और मैं तुम्हारी आरज़ू
हाल-ए-दिल कुछ यूँ तुम्हारा मैं सुनाने आ गयी
आशिक़ी में डूब के देखा तो तुम ही तुम दिखे
आईना-ए-दिल ख़ुद अपना मैं दिखाने आ गयी
अर्चना तिवारी 'शाहीन'
mobile 9415996375
Saturday, January 23, 2010
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