दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है
भैया को टाफी मुझे मात्र गुड़ ही दिया है
भैया को लेकर दिये बात और कंचे
पर हमारे लिए तो पत्थर भी ना जँचे
तिसपे भी सब बूढ़ों का विरोध लिया है
दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है
दीवाली पर भैया को वस्त्र और जूते
मेरे पुराने चले इस्त्री के बलबूते
फिर भी मुझे देख ज़हर जैसे पिया है
दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है
जन्म दिन भैया का कटा केक, दी दावत
मेरा जन्म दिन तो जैसे रात अमावस
आंसूं के धागे से होंठ मैंने सिया है
दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है
प्रभा पांडे 'पुरनम'
ph. 0761-2412504
Thursday, January 7, 2010
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