अपने हांथों पर मैं तेरा नाम ही लिक्खा करती हूँ
नाम को लिखकर छूती हूँ फिर उसको चूमा करती हूँ
याद तुझे मेरी आये न आये याद मैं करती हूँ
हांथों में तेरी ही सूरत रोज़ में देखा करती हूँ
नज़रों में तू समा गया है यह महसूस में करती हूँ
हर पल तेरे साथ में गुज़रा याद किया मैं करती हूँ
तेरी याद सताती है जब मैं कुछ सोचा करती हूँ
थक जाती हूँ फिर भी तेरा रस्ता देखा करती हूँ
बेशक दूर हुये हम दोनों पर एतबार मैं करती हूँ
कितना भी तू दूर रहे पर तुझसे प्यार मैं करती हूँ
अर्चना तिवारी 'शाहीन'
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Saturday, January 23, 2010
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