हूँ आपकी ही बेटी मुझे मारिये नहीं
चटा अफीम यूँ झूले में डारिये नहीं
किसी ना किसी का वंश तो चलेगा मुझसे
बेटा कभी किसी का तो पलेगा मुझसे
श्वेत वस्त्र दे धरा में यूँ गाडिये नहीं
हूँ आपकी ही बेटी मुझे मारिये नहीं
आपकी भी माँ कभी बेटी रही होगी
पीर आपके लिये न उसने सही होगी
जन्म मैंभी दूंगी कभी, बिसारिये नहीं
हूँ आपकी ही बेटी मुझे मारिये नहीं
कोई कोई बेटियों को फिरे तरसता
फिर भी मेह प्रार्थना पर नहीं बरसता
क़ुदरत कि रची पौध हूँ उजाडिये नहीं
हूँ आपकी ही बेटी मुझे मारिये नहीं
प्रार्थना से मेरी घर भैया भी आयेगा
पुण्य कन्यादान का घर भर कमायेगा
अपने हांथों भाग्य ख़ुद बिगाडिये नहीं
हूँ आपकी ही बेटी मुझे मारिये नहीं
प्रभा पांडे 'पुरनम'
ph. 0761-2412504
Thursday, January 7, 2010
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