Friday, January 1, 2010

सबको आना जाना है

सबको आना जाना है
मौत तो एक बहाना है

समझा नहीं कोई अब तक
ज़ीस्त का ताना बाना है

एक जन्म का नहीं है यह
रिश्ता बहुत पुराना है

कुछ ही वक़्त बचा बाक़ी
अब तो पुण्य कमाना है

धोखा देना बहुत बुरा
बुरा न धोखा खाना है

ऐसे भी हैं दोस्त यहाँ
जिनसे राज़ छिपाना है

खुश क़िस्मत है वो इन्सां
प्यार में जो दीवाना है

कभी नहीं रोना मुझको
मुझको गाना गाना है

पाना है जो 'सोज़' सुकूं
सबको दोस्त बनाना है

प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob.9412287787

ज़ीस्त - जिंदगी

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