सबको आना जाना है
मौत तो एक बहाना है
समझा नहीं कोई अब तक
ज़ीस्त का ताना बाना है
एक जन्म का नहीं है यह
रिश्ता बहुत पुराना है
कुछ ही वक़्त बचा बाक़ी
अब तो पुण्य कमाना है
धोखा देना बहुत बुरा
बुरा न धोखा खाना है
ऐसे भी हैं दोस्त यहाँ
जिनसे राज़ छिपाना है
खुश क़िस्मत है वो इन्सां
प्यार में जो दीवाना है
कभी नहीं रोना मुझको
मुझको गाना गाना है
पाना है जो 'सोज़' सुकूं
सबको दोस्त बनाना है
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob.9412287787
ज़ीस्त - जिंदगी
Friday, January 1, 2010
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