बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियां
हर कोई बिचकाता है मुंह बार-बार बेटियां
बेटा ना हुआ तो इसमें क्या मेरा कसूर था
पूर्वजों को पानी कौन देगा भय ज़रूर था
भ्रूण हत्या की गई दो, चार बार बेटियां
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियां
अब तो डाक्टर ने भी कह दिया नसबंदी करा
खुद पे अत्याचार न कर देख अब तो बाज़ आ
मर गई तो कौन रखेगा कतार बेटियां
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियां
घर की बड़ी बुढियां तो अब भी मानती नहीं
मुझपे गुज़रती है क्या ये कोई जानती नहीं
हो रहा तानों से जिया तार-तार बेटियां
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियां
मायके गई भतीजे के विवाह के लिए
मान गई पति को मैं इस सलाह के लिए
चुपचाप नसबंदी करा, जीवन संवार बेटियां
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियां
पढ़ा लिखाकर बेटियों की ज़िन्दगी संवार दी
बिन दहेज़ दीं, ना कैश और न कार दी
हर बुरे समय में हाज़िर रहती चार बेटियां
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियां
प्रभा पांडे 'पुरनम'
Ph. 0761-2412504
Wednesday, January 6, 2010
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