बेटी घर में है तो प्रभु उपकार मानिये
अपनी बेटी को कभी मत भार मानिये
बेटी राधा बेटी सीता
बेटी रामायण और गीता
बेटी तो है परम पुनीता
बेटी बिन ये जग है रीता
बेटी को सुख शांति का आधार मानिये
अपनी बेटी को कभी मत भार मानिये
यूँ तो बेटी फूल कली
बागों की उड़ती तितली
माना उसको करमजली
तब तो बन जाती बिजली
बेटी भाग्य लक्ष्मी की पुचकार मानिये
अपनी बेटी को कभी मत भार मानिये
घर के आँगन की क्यारी
खुशियों की है फुलवारी
चिड़ियों जैसी किलकारी
ना जाने फिर क्यों भारी
पूर्व जन्म के पुण्य मिले इस बार मानिये
अपनी बेटी को कभी मत भार मानिये
प्रभा पांडे 'पुरनम'
ph. 0761-2412504
Wednesday, January 6, 2010
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