मैं इन्तज़ार के दीपक जलाये बैठी हूँ
तुम्हारी राह में आँखें बिछाये बैठी हूँ
जो फूल तुमने किताबों में रख के भेजे थे
उन्हें मैं आज भी दिल से लगाये बैठी हूँ
तमाम घर तो महकता है उसकी खुशबू से
क्यूँ अपने जिस्म पे चन्दन लगाये बैठी हूँ
तुम्हारी राह अँधेरे न रोक पायेंगे
मैं अपनी पलकों पे जुगनू सजाये बैठी हूँ
है एक वो जो मुझे याद भी नहीं करता
मैं उसकी याद में दुनिया भुलाये बैठी हूँ
यक़ीन है वो सुहागन मुझे बनायेगा
मैं अपनी सेज पे कलियाँ सजाये बैठी हूँ
कोई भी ग़म उसे 'शाहीन' छू नहीं सकता
दुआ को हाँथ मैं अपने उठाये बैठी हूँ
अर्चना तिवारी 'शाहीन'
mobile 9415996375
Saturday, January 23, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Online Birthday Gifts
ReplyDeleteBest Birthday Gifts Online