दुश्मनों से भी दोस्ती रखिये
तीरगी में भी रौशनी रखिये
जिंदगी कामयाब करनी हो
अपने होंठों पे बस हंसी रखिये
जिसके दिल में ज़रा भी हो एहसास
सामने उसके शायरी रखिये
बेरुखी से जो बात करते हों
दूर की उनसे बंदगी रखिये
हो बदलना जहाँ का चेहरा तो
जो मिले उसको बस सुखी रखिये
जो जवानी में हो गया बूढ़ा
सोच में उसके कमसिनी रखिये
जामे-उल्फत नहीं पिया जिसने
उसके होंठों पे तिशनगी रखिये
छा गयी हो जो दिल पे मायूसी
अपनी चेहरे पे कुछ हंसी रखिये
'सोज़' रहता हो बेवफा जिसमें
दूर अपने से वो गली रखिये
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. 9412287787
तीरगी - अँधेरा
बंदगी - दुआ-सलाम
जामे-उल्फत - मोहब्बत का जाम
तिशनगी -प्यास
Thursday, December 31, 2009
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