सुख ही सुख और जिंदगानी में
जैसे कोई लकीर पानी में
सच ही बोलेगा जिंदगी में तू
अहद यह कर ले शादमानी में
जिनसे फूलों की थी उम्मीद हमें
उनसे पत्थर मिले निशानी में
तुम से आगाज़ था कहानी का
तुम ही अंजाम हो कहानी में
मेरा ही क्या बहक ही जाता है
अच्छे अच्छों का दिल जवानी है
प्यार करने से तो नहीं होता
प्यार होता है नागहानी में
नाम रुकना है मौत का यारो
जिंदगी तो है बस रवानी में
'सोज़' ख़ामोश रह के आया है
लुत्फ़ जीने का बेज़बानी में
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. 09412287787
Tuesday, December 29, 2009
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