अगर सीने में मेरे दिल न होता
मुझे दुनिया में कुछ हासिल न होता
न होता प्यार का जज्बा जो यारो
भंवर होता कोई साहिल न होता
तुम ऐसे में न जाने कैसे लगते
तुम्हारे गाल पर गर तिल न होता
न करते वो जो मुझसे बेवफाई
मिरा ये दिल कभी बिस्मिल न होता
करम होता ख़ुदा का मुझ पे कैसे
गुनाहों में अगर शामिल न होता
हमारा प्यार भी परवान चढ़ता
अगर वो दोस्त ही बुज़दिल न होता
न होती उनकी गर मुझ पर इनायत
मिरा ऐसा तो मुस्तक़बिल न होता
हमारे क़त्ल की हिम्मत थी किस में
अगर वो दोस्त ही शामिल न होता
न लड़ते 'सोज़' जो तूफान से हम
हमारे सामने साहिल न होता
प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. - 09412287787
Saturday, December 26, 2009
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