Saturday, December 26, 2009

ग़ज़ल

अगर सीने में मेरे दिल न होता
मुझे दुनिया में कुछ हासिल न होता

न होता प्यार का जज्बा जो यारो
भंवर होता कोई साहिल न होता

तुम ऐसे में न जाने कैसे लगते
तुम्हारे गाल पर गर तिल न होता

न करते वो जो मुझसे बेवफाई
मिरा ये दिल कभी बिस्मिल न होता

करम होता ख़ुदा का मुझ पे कैसे
गुनाहों में अगर शामिल न होता

हमारा प्यार भी परवान चढ़ता
अगर वो दोस्त ही बुज़दिल न होता

न होती उनकी गर मुझ पर इनायत
मिरा ऐसा तो मुस्तक़बिल न होता

हमारे क़त्ल की हिम्मत थी किस में
अगर वो दोस्त ही शामिल न होता

न लड़ते 'सोज़' जो तूफान से हम
हमारे सामने साहिल न होता

प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल 'सोज़'
mob. - 09412287787

No comments:

Post a Comment