तुम बिन सूना-सूना पनघट लगता है
तुम हो तो हर इक पल नटखट लगता है
तुम बिन तो जीवन है बनवास सरीखा
सूना-सूना हर इक जमघट लगता है
फूलों बिन गुलशन को वीराना कहेंगे
तुम बिन संसार नहीं मरघट लगता है
तेरे प्रेम समाया सागर सा मन में
रीता तुम बिन ये जीवन-घट लगता है
तुम हो प्राण-प्रतिष्ठा जग के मंदिर की
वर्ना ये निष्प्राण सजावट लगता है
अक्षय गोजा
mob. 09351289217
Monday, December 28, 2009
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