ग़म के काले साये तू दिल से उतार दे
वक़्त नहीं संवरता तो उनकी जुल्फें सवांर दे
जिंदगी के दिन तो बहरहाल गुज़र जायेंगे
हंस के गुज़ार तू इसे या रोकर गुज़ार दे
कुछ नहीं होगा नफरतें पालने से दोस्त
दुश्मन भी दोस्त बन जाये उसे इतना प्यार दे
घावों पे नमक डालने वाले हैं कई दोस्त
दे सके तो कोई एक ग़म गुसार दे
तू क़त्ल करके भी उसका साफ़ निकल सकता है
मारना है तुझे तो अपने अहं को मार दे
दोस्ती के नाम पर जो भी दग़ा करे
ऐसे दोस्तों को तू दिल से बिसार दे
जब तक जियो 'पारस' बड़े शान से जियो
ग़म सामने भी आये तो ठोकर से मार दे
डॉ रमेश कटारिया 'पारस'
Friday, December 25, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Birthday Gifts Online
ReplyDeleteBest Packers Movers Bangalore
Online Cake Delivery
Online Gifts Delivery in India