Sunday, April 26, 2009

अमनोसुकुं न ख़त्म हो हिन्दोस्तान से

अमनोसुकुं न ख़त्म हो हिन्दोस्तान से
आवाज़ आ रही है ये शंखो अज़ान से

इंसाफ बिक रहा है अदालत की मेज़ पर
फाँसी लगी है सत्य को झूंठे बयान से

वादे किए थे तुमने इलेक्शन में शान से
कर्जे हुए हैं माफ़ क्या पूंछो किसान से

रथ यात्रा जो राम की लेकर चले थे तुम
हासिल हुआ है देश को क्या इस निशान से

दीवानगी पे उनकी हँसी आ गई 'उमा'
उल्फत मिटाने आए थे तीरो-कमान से

उमाश्री

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