दूँ क्या ? मैं प्रतिफल में तुमको
बतलाओ मनमीत
इन अधरों के 'भोजपत्र' पर
ग़ज़ल लिखूं या गीत.............
केसरिया अंगों पर मेरे,
लिखे प्रणय के शलोक
संयम का हिमगिरी पिघला है
आज पिया मत रोक
लिखी जायेगी शिलापटल पर
तेरी मेरी प्रीत ....................
बाहें मेरी यमक हो गईं
सांसें सब अनुप्रास
बुझ पायेगी क्या एक पल में
जनम जनम की प्यास
साहस का ध्वज लिए रहे तो
होगी अपनी जीत...............
चुम्बन का गुदना अंगों पर
सुधियों का चंदन है
तन में है यमुना की लहरें
मन यह वृन्दावन है
तन की मटकी मन की मथनी
प्यार हुआ नवनीत ...........
उमाश्री
Sunday, April 26, 2009
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