गर कुछ पेड़ लगाए होते
घनी धूप में साये होते
पानी बदल दिया होता तो
कमल न ये मुरझाए होते
वे भी ख़फा नहीं रह पाते
दिल से यदि मुस्काए होते
अंत समय में न पछताते
यदि कुछ पुण्य कमाए होते
'पारस' यदि समझौता करते
सारे जग में छाए होते
डॉ रमेश कटारिया 'पारस'
Sunday, April 12, 2009
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