असीम खुशियों का आकाश, आपके जीवन में छा जाए
बनी रहे मुस्कान मधुर, कोई इसे कभी चुराने न पाए
उमंग-उत्साह से परिपूर्ण हो प्रतिफल, दुखों की धूप लगने न पाए
सुख-स्वर में बजे मन की वीणा, आशा का दीप कोई बुझने न पाए
पुष्पित-पल्लवित हों आप निरंतर,अभावों में जीवन कटने न पाए
मानवता की आप प्रतिमूर्ति बनें, आत्म-विश्वास डगमगाने न पाए
निज धर्म-कर्म से कभी विमुख न हो, प्रेम-विश्वास भी घटने न पाए
सत्य-ईमान ही प्राणाधार बने, ईर्ष्या-द्वेष कभी मन में आने न पाए
मनोकामना पूर्ण होती रहे,असफलता का मुख कभी दिखने न पाए
फूल ही फूल खिलें सदा राहों में, विपत्ति का कांटा कोई चुभने न पाए
राष्ट्र-समाज को गर्व हो आप पर, संकल्पों की भावभूमि मिटने न पाए
नैतिकता का कभी लोप न हो, मन का संयम कभी बिखरने न पाए
सुधीर खरे 'कमल'
Thursday, April 23, 2009
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