Saturday, April 25, 2009

कैसे तुम को भुला सकेंगे

कैसे तुम को भुला सकेंगे, तुम तो कितने प्यारे हो
पल-पल मेरा दिल कहता है, उससे तुम दिल हारे हो

तेरे नज़र के तीर से घायल, मैं आशिक आवारा हूँ
दर्द छिपाए फिरता है जो, घायल वो बेचारा हूँ
कभी मैं रोता, कभी हूँ हँसता, कभी भटकता राहों में
कभी असर तो आयेगा, दर्द भरी इन आहों में
मेरा कोई नहीं दुनियाँ में, तुम ही एक सहारे हो

पल-पल मेरा दिल कहता है...............................

इश्क में ऐसी हालत होगी, मुझको ये मालूम न था
जितना मैं मजबूर हूँ उतना, मजनूं भी मजबूर न था
तेरे दीद की खातिर भटकूँ, दर-दर ठोकर खाता हूँ
मुझ को तेरी चाहत कितनी, तुझ को आज बताता हूँ
हम तो तेरे जन्म से हैं और माना तुम हमारे हो

पल-पल मेरा दिल कहता है........................

नज़रों को भाता है कोई, इश्क की लौ लग जाती है
जितना बुझाओ बुझे नहीं, वो और भड़कती जाती है
तेरे प्यार में डूब गया हूँ , बचना बहुत मुहाल है
ख़स्ता हाल है कश्ती मेरी, हिम्मत भी बेहाल है
मैं फंसा हूँ बीच भंवर में तुम पहुंचे एक किनारे हो

पल मेरा दिल कहता है..............................

कैसे तुम को भुला सकेंगे, तुम तो कितने प्यारे हो
पल-पल मेरा दिल कहता है, उससे तुम दिल हारे हो


मज़हर अली 'क़ासमी'

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