Sunday, April 26, 2009

ग़ज़ल

कितनी हँसी है रात मेरे साथ आइये
करनी है दिल की बात मेरे साथ आइये

आगाज़े गुफ्तगू तो ज़रा कीजिये हुज़ूर
बातों से निकले बात मेरे साथ आइये

लफ्जों ने साथ छोड़ दिया है ज़ुबान का
नज़रों से कीजिये बात मेरे साथ आइये

लम्हा बगैर आप के लगता है एक साल
कटती नहीं हयात मेरे साथ आइये

ताउम्र साथ दोगे यकीं तो नहीं मगर
कुछ दूर की है बात मेरे साथ आइये

ठुकरा दिया है इश्क में सब कुछ यहाँ 'नसीम'
दुनिया की क्या बिसात मेरे साथ आइये

नसीम टीकमगढी

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